चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि सरकार विज्ञापन, मंत्रियों-विधायकों के खर्च और सरकारी संसाधनों के उपयोग का ब्योरा देने से बच रही है। हाई कोर्ट ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे अवमानना करार दिया है।
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस कुलदीप तिवारी ने पंजाब सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जताते हुए कहा—
“हलफनामे में दिए गए कारणों से तो लगता है कि सरकार का हमारे निर्देश का पालन करने का कोई इरादा नहीं है।”
अदालत ने पंजाब सरकार से पूछा है कि *क्या वह सही में अपने खर्चों का ब्योरा देने की इच्छा भी रखती है या नहीं?
क्यों नाराज हुआ हाई कोर्ट?
सितंबर 2024 में हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया था कि वह—
✅ सरकारी विज्ञापनों पर किए गए खर्च
✅ नई गाड़ियों की खरीद का खर्च
✅ मंत्रियों और विधायकों के सरकारी आवासों का खर्च
✅ दिल्ली की अदालतों में कानूनी मुकदमों पर खर्च
का पूरा ब्योरा पेश करे। लेकिन सरकार ने अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया। इसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार को दोबारा नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
अस्पतालों को फंड न देने पर भी कोर्ट ने जताई नाराजगी
हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान यह भी सवाल उठाया कि जब सरकारी अस्पतालों को पर्याप्त फंड नहीं मिल रहा है, तब सरकार विज्ञापनों और अन्य गैर-जरूरी खर्चों पर भारी रकम क्यों उड़ा रही है?
अब क्या होगा?
हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को तय की है। अब पंजाब सरकार को इस तारीख तक अपने खर्चों की पूरी जानकारी अदालत के सामने पेश करनी होगी। *यदि सरकार फिर से ब्योरा देने में असफल रहती है, तो यह कोर्ट की अवमानना मानी जा सकती है।
इस पूरे मामले पर पंजाब सरकार का क्या रुख होगा, यह देखना दिलचस्प रहेगा।
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