वक्फ बोर्ड जमीन विवाद ,नई दिल्ली, 7 फरवरी: उत्तर प्रदेश में *वक्फ संपत्तियों पर विवाद* बढ़ता जा रहा है। हाल ही में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें राज्य में 57,792 सरकारी संपत्तियों पर वक्फ द्वारा किए गए दावोंका जिक्र किया गया है। यह रिपोर्ट अब लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को सौंप दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन संपत्तियों का कुल क्षेत्रफल 11,712 एकड़में फैला हुआ है। सबसे ज्यादा संपत्तियाँ अयोध्या, शाहजहाँपुर, रामपुर, जौनपुर और बरेली जैसे जिलों में बताई जा रही हैं।
वक्फ बोर्ड जमीन विवाद किन जिलों में कितना दावा?
वक्फ बोर्ड जमीन विवाद,संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में वक्फ द्वारा किए गए दावों की विस्तृत जानकारी दी गई है ?
जिला | वक्फ संपत्तियाँ (कुल) | सरकारी संपत्तियाँ (वक्फ दावा) |
|————–|————————|—————————–|
| अयोध्या | 3,652 | 2,116 |
| शाहजहाँपुर | 2,589 | 2,371 |
| रामपुर | 3,365 | 2,363 |
| जौनपुर | 4,167 | 2,096 |
| बरेली | 3,499 | 2,000 |
| लखीमपुर खीरी | 1,792 | — |
| बुलंदशहर | 1,778 | — |
| फतेहपुर | 1,610 | — |
वक्फ बोर्ड जमीन विवाद,रिपोर्ट में बताया गया है कि ये संपत्तियाँ सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में सार्वजनिक उपयोग के तहत दर्ज हैं। यूपी सरकार ने स्पष्ट किया कि इनमें से अधिकांश भूमि वर्ग 5 और वर्ग 6 के तहत आती हैं, जो सरकारी और ग्राम सभा की संपत्ति मानी जाती है।
वक्फ बोर्ड जमीन विवाद,जेपीसी की सिफारिशें
वक्फ बोर्ड जमीन विवाद,JPC रिपोर्ट में इस विवाद को सुलझाने के लिए कुछ सिफारिशें की गई हैं:
1. केंद्रीय वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ाने का सुझाव।
2. वक्फ ट्रिब्यूनल के सदस्यों की संख्या और उनकी योग्यता को पुनर्निर्धारित करने की सिफारिश।
3. विवादित संपत्तियों की जाँच और उनके निपटारे की प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता।
भारत में वक्फ संपत्तियों का विस्तार
भारत में वक्फ संपत्तियों की संख्या काफी अधिक है। अल्पसंख्यक मंत्रालय के अनुसार, देशभर में वक्फ बोर्ड के पास 8,65,646 संपत्तियाँ पंजीकृत हैं। इनमें सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल (80,000+), पंजाब (70,994), तमिलनाडु (65,945) और कर्नाटक (61,195) में हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में वक्फ का दायरा इस्लामी देशों से भी अधिक है। तुर्की, लीबिया, सीरिया और इराक जैसे देशों में वक्फ का ऐसा कोई कानूनी ढाँचा नहीं है, लेकिन भारत में यह तीसरा सबसे बड़ा जमींदार बन चुका है।
अब आगे क्या?
जेपीसी की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद राजनीतिक और कानूनी बहस तेज हो सकती है। सरकार इस पर क्या कदम उठाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
नेहरू की ‘रंगीन’ जिंदगी पर संसद में हुआ जिक्र, पीएम मोदी ने दी यह किताब पढ़ने की सलाह
तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक सांसदों पर हिंदू धर्म के खिलाफ धार्मिक कट्टरता फैलाने का आरोप लगाया