Unnao breaking,2017 से, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में भूमि माफियाओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों को अपराधियों की पहचान करने, उनके खिलाफ मामले दर्ज करने और अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया। हालांकि, उन्नाव में भूमि माफियाओं और प्रशासन की मिलीभगत ने इस अभियान को महज एक राजनीतिक नारे तक सीमित कर दिया है।
2017 का मामला,अंबरीश शुक्ला और उसकी गैंग की धोखाधड़ी
Unnao breaking,उन्नाव की सदर तहसील के गदन खेड़ा में 2017 में एक मामला सामने आया था, जिसमें नामित भूमि माफिया अंबरीश शुक्ला उर्फ लल्लई और उसके गिरोह ने अनुसूचित जाति के राम असरे खटीक* को *राम असरे गुप्ता बताकर धोखाधड़ी से प्लॉट बेचे। ये प्लॉट ₹19-20 लाख में शिव देवी, रानी (जगदेव की पत्नी), मंषा गुप्ता (रामबाबू गुप्ता की पत्नी) और वंदना (जगदीप की पत्नी) को बेचे गए।
प्लॉट खरीदने और बाउंड्री वॉल बनाने के बाद, अंबरीश शुक्ला और उसकी गैंग ने जेसीबी मशीन से दीवार गिराकर खरीदारों को जबरन बेदखल कर दिया। कई संघर्षों के बाद, पीड़ित वंदना देवी के पिता कैलाश ने कोर्ट में अपील की। कोर्ट के आदेश के अनुसार, 18 अगस्त 2024 को उन्नाव के कोतवाली थाने में* अंबरीश शुक्ला उर्फ लल्लई, अजयवीर यादव, हरकिशोर यादव, राम असरे, आदित्य कुमार चौहान, सतीश (सुरेंद्र का दामाद), सुरेंद्र और नन्हक्के के खिलाफ धारा 406, 420 और 467 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। हालांकि, *पांच महीने बीत जाने के बाद भी जांच अधिकारी ने चार्जशीट दाखिल नहीं की है
Unnao breaking,धोखाधड़ी से जमीन की बिक्री और कब्जा
कैलाश के अनुसार, वह हरकिशोर के साथ प्लॉट देखने गए थे, जहां उनकी मुलाकात अजयवीर यादव से हुई। 127.78 वर्ग मीटर (25’55) के कोने के प्लॉट की कीमत ₹22 लाख रखी गई थी, जिसे ₹19.60 लाख में तय किया गया और इसे गुप्ता परिवार की संपत्ति बताया गया।
Unnao breaking,चूंकि प्लॉट का बाजार मूल्य ₹6.34 लाख था, कैलाश ने पंजाब नेशनल बैंक, इंदेमऊ शाखा, उन्नाव से ₹6 लाख का चेक (नं. 016260) जारी किया। भूमि (गाटा संख्या 778, 779 और 780) वंदना (कैलाश की विवाहित बेटी) के नाम पर पंजीकृत की गई* और यह रजिस्ट्री नंबर 17354 (वॉल्यूम 16558, पेज 285-300) के तहत सदर उप-पंजीयक कार्यालय, उन्नाव में दर्ज की गई।
कानूनी रूप से रजिस्ट्री होने के बाद, वंदना ने अपने प्लॉट के चारों ओर बाउंड्री वॉल बनवाई। लेकिन 17 जनवरी 2024 को शाम 5:30 बजे उसे सूचना मिली कि अंबरीश शुक्ला, सुरेंद्र का दामाद सतीश, सुरेंद्र (रामअवतार का बेटा), नन्हक्के (बद्लू का बेटा) और अजयवीर यादव ने जेसीबी मशीन से बाउंड्री गिरा दी।
18 जनवरी 2024 को कोतवाली पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। कई महीनों के संघर्ष के बाद, 18 अगस्त 2024 को केस दर्ज हुआ, लेकिन पांच महीने बीतने के बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं की गई।
धमकियाँ और न्यायिक हस्तक्षेप
वंदना के पति जगदीप कुमार ने खुलासा किया कि भूमि माफिया ने पहले फोन पर धमकियाँ देकर मामला दबाने की कोशिश की। इन धमकियों के ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध हैं।
जब कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज हुआ, तो माफिया ने पीड़ितों पर ही झूठा केस दर्ज कराने की कोशिश की*, जिसे बाद में कोर्ट ने खारिज कर दिया।
2023 में अंबरीश शुक्ला को भूमि माफिया की आधिकारिक सूची से हटा दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद, 2024 में उसने अपनी गैंग के साथ मिलकर कई लोगों को धोखा दिया। प्रशासन ने 2017 के भूमि माफिया सूची (केस नंबर 0797/17) से उसके नाम को हटाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील नहीं की, और न ही 18 अगस्त 2024 के मामले (एफआईआर नंबर 0569/24) में कोई कार्रवाई की गई।
यह मामला उन्नाव में प्रशासन द्वारा भूमि माफियाओं को दिए जा रहे संरक्षण को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।
अंबरीश शुक्ला का मामला उन्नाव में भूमि माफिया और प्रशासन की चौंकाने वाली मिलीभगत
उन्नाव के कुख्यात भूमि माफिया अंबरीश शुक्ला का मामला उत्तर प्रदेश में भूमि माफियाओं और प्रशासन के बीच गहरे गठजोड़ को उजागर करता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2017 से भूमि माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रयासों के बावजूद, शुक्ला का गैंग बेखौफ होकर अपनी गतिविधियाँ जारी रखे हुए है, कई लोगों को धोखा देकर ज़मीनों पर अवैध कब्जा कर रहा है।
यह मामला गदन खेड़ा में भूखंडों की धोखाधड़ी से बिक्री से जुड़ा है, जहां शुक्ला के गैंग ने फर्जी तरीके से खुद को मालिक बताकर कई लोगों को प्लॉट बेच दिए। जब खरीदारों ने बाउंड्री वॉल बनवाई, तो उन्हें जबरन हटा दिया गया। कोर्ट का आदेश होने के बावजूद पुलिस ने अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की है।
Unnao breaking,मुख्य चिंताएँ
– भूमि माफिया और प्रशासन की मिलीभगत: यह मामला प्रशासन द्वारा भूमि माफियाओं को संरक्षण दिए जाने की गंभीर चिंता को जन्म देता है।
– भूमि माफियाओं पर कार्रवाई की कमी:2023 में अंबरीश शुक्ला का नाम भूमि माफिया सूची से हटा दिया गया था, लेकिन इसके बाद भी उसने 2024 में अपनी गैंग के साथ मिलकर कई लोगों को धोखा देकर ज़मीन हड़पी।
– धमकियाँ और डराने-धमकाने की रणनीति:भूमि माफिया ने शुरुआत में पीड़ितों को फोन पर धमकाकर मामला दबाने की कोशिश की, फिर उन पर ही झूठा मुकदमा दर्ज कराने का प्रयास किया*।
यह मामला उत्तर प्रदेश में भूमि माफियाओं के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करने* की सख्त जरूरत को दर्शाता है।
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